KHAMOSHIYAN
आंखों की तुमको समझ नही,
शाब्दो की हमको है कमी,
माना की मोहोबत का इजहार ही इज़हार है,
पर क्या खामोशी की धुन से तुम्हे एतबार है,
लोग है ज़माने में पर बातें नहीं करते,
दो पल खामोशी के किसी के साथ बिता नही सकते,
कांटे की तरह चुभती है उन्हे चूपी
बेस्वाद सी लगती है, जैसे कोई चाय फीकी,
जो बात किसी की जुबान न कह पाए,
उसकी गवाही आंखें देती है
मौजूद और शामिल होने मैं होते है फर्क कई,
किसी के शब्दों में आवाज है, इसकी तुम्हे गलत फहमी तो नही?
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ReplyDelete💕👌
ReplyDeleteSo good ✨🤌🏻
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